Sector 36 मूवी रिव्यू: विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की दमदार परफॉर्मेंस, दिल जीत लिया लेकिन कहानी ने किया निराश
Sector 36 एक थ्रिलर ड्रामा फिल्म है जिसमें विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। यह फिल्म एक क्राइम थ्रिलर है, जो समाज की अंधेरी सच्चाइयों को सामने लाती है। फिल्म की कहानी एक पुलिस अधिकारी और एक क्राइम सिंडिकेट के इर्द-गिर्द घूमती है। इसके निर्देशन की जिम्मेदारी आदित्य नांजी ने उठाई है, जबकि कथा और पटकथा की रचना आदित्य और शोभित सोनी ने की है।
Sector 36: विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की एक्टिंग
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल की अदाकारी है। विक्रांत एक इमानदार और निडर पुलिस ऑफिसर के रूप में बेहतरीन काम करते नजर आते हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी काबिल-ए-तारीफ है। दूसरी ओर, दीपक डोबरियाल, जो अक्सर अपने हास्यपूर्ण किरदारों के लिए जाने जाते हैं, इस फिल्म में एक गंभीर और खतरनाक किरदार निभाते हैं। उनका अभिनय फिल्म की थ्रिलिंग टोन को और भी धार देता है।
दोनों अभिनेताओं ने अपने-अपने किरदारों में पूरी तरह से घुलमिल कर दर्शकों का ध्यान खींचा है। उनका परफॉर्मेंस फिल्म को ऊंचाई देता है और कुछ कमजोरियों को ढकने में मदद करता है। विक्रांत का गुस्सा और दीपक की खामोश चालाकी, दोनों ने फिल्म में सस्पेंस और इंटेंसिटी बनाए रखी है।
Sector 36: कहानी और पटकथा पर थोड़ी कमी
जहां एक्टिंग अपने आप में दमदार है, वहीं फिल्म की पटकथा थोड़ी कमजोर नजर आती है। फिल्म का प्लॉट दिलचस्प है, लेकिन इसे और भी बेहतरीन बनाया जा सकता था। कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी खिंचती हुई प्रतीत होती है, और घटनाओं का प्रवाह थोड़ा धीमा हो जाता है। एक मजबूत प्लॉटलाइन और कुछ दिलचस्प ट्विस्ट की कमी साफ दिखाई देती है।
कहानी में कई महत्वपूर्ण मोड़ आते हैं, लेकिन उन पर फोकस ठीक से नहीं हो पाता। कुछ किरदारों की बैकस्टोरी को और विस्तार से दिखाया जा सकता था, जिससे दर्शक उनसे और ज्यादा जुड़ पाते। फिल्म का पहला हाफ अच्छा है, लेकिन सेकंड हाफ में गति थोड़ा कम हो जाती है।
Sector 36: सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन पर भी बात करना जरूरी है। निर्देशक आदित्य नांजी ने फिल्म को एक अंधेरे और रहस्यमय अंदाज में पेश किया है, जो कहानी के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। कैमरा एंगल्स और लोकेशन के चयन ने फिल्म को एक सच्चाई और ग्रिट का टच दिया है। हालांकि, फिल्म के कुछ सीक्वेंस ऐसे थे जिन्हें और बेहतर तरीके से शूट किया जा सकता था।
सिनेमैटोग्राफी में अंधेरे का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया गया है, जो कभी-कभी स्क्रीन पर दृश्यता को कम कर देता है। मगर, इससे फिल्म की टोन और इंटेंसिटी पर बहुत फर्क नहीं पड़ता।
Sector 36: क्या बन सकती थी बेहतर
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी पटकथा है। कहानी का कंसेप्ट तो मजबूत है, लेकिन इसे और ज्यादा ट्विस्ट और टर्न्स की जरूरत थी। फिल्म के कुछ डायलॉग्स भी बेहतरीन हैं, लेकिन कई बार वे बहुत साधारण लगते हैं। एक बेहतर संवाद लेखन और कसी हुई पटकथा फिल्म को और भी ऊंचाई पर ले जा सकती थी।
इसके अलावा, सपोर्टिंग कास्ट का इस्तेमाल और बेहतर हो सकता था। कुछ पात्र ऐसे हैं जो कहानी में ज्यादा योगदान नहीं दे पाए और उनके दृश्य बेवजह खिंचे हुए लगते हैं।
Sector 36: म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के साथ अच्छा तालमेल बिठाते हैं। थ्रिलिंग सीक्वेंस के दौरान बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म के सस्पेंस को और भी बढ़ा देता है। हालांकि, म्यूजिक के मामले में कुछ और यादगार ट्रैक्स दिए जा सकते थे, जो दर्शकों के साथ लंबे समय तक रहते।
अंतिम विचार
Sector 36 एक ऐसी फिल्म है जिसमें विक्रांत मैसी और दीपक डोबरियाल जैसे कलाकारों की शानदार एक्टिंग है। फिल्म का प्लॉट अच्छा है, लेकिन पटकथा पर और काम किया जा सकता था। फिर भी, अगर आप थ्रिलर और क्राइम ड्रामा के शौकीन हैं, तो यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है।